स्वामी श्री वासुदेव जी महाराज का जन्म ईस्वी सन 1923 को महाशिवरात्रि के पर्व पर रात्रि साढ़े 12 बजे भगवती स्वरूपा माता लक्ष्मीबाई की कोख से हुआ |
आपके पिता का नाम श्री कृष्णमूर्ति था, जो भारद्वाज गौत्र के ऋग्वेदी ब्रह्मण थे | आपने चंडावल के विकास में अहम् भूमिका निभाई |
विकास कार्य भी इतने की उनकी गिनती ना की जा सके | नगर के प्रवेश द्वार से लेकर थानेश्वर मंदिर का निर्माण, कैलाश सागर की पाल, व्यायामशाला, आयुर्वेदिक औषधालय जहा आज भी निशुल्क आयुर्वेदिक दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं, बालिका माध्यमिक विद्यालय, गौशालाएं, अनेक मंदिर. आपने ही बनवाए | 5 सितम्बर 2011 को चंडावल के इस महान संत का देवलोकगमन हो गया |
वासुदेव जी महाराज का आश्रम "निरंतर निरंजन चिंतन कुटीर" रामपुरा रोड, चंडावल से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं |
आपके पिता का नाम श्री कृष्णमूर्ति था, जो भारद्वाज गौत्र के ऋग्वेदी ब्रह्मण थे | आपने चंडावल के विकास में अहम् भूमिका निभाई |
विकास कार्य भी इतने की उनकी गिनती ना की जा सके | नगर के प्रवेश द्वार से लेकर थानेश्वर मंदिर का निर्माण, कैलाश सागर की पाल, व्यायामशाला, आयुर्वेदिक औषधालय जहा आज भी निशुल्क आयुर्वेदिक दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं, बालिका माध्यमिक विद्यालय, गौशालाएं, अनेक मंदिर. आपने ही बनवाए | 5 सितम्बर 2011 को चंडावल के इस महान संत का देवलोकगमन हो गया |
वासुदेव जी महाराज का आश्रम "निरंतर निरंजन चिंतन कुटीर" रामपुरा रोड, चंडावल से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं |
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